हिरोशिमा पर परमाणु हमला
परिचय:
द्वितीय विश्व युद्ध (Second World War) मानव इतिहास का सबसे विनाशकारी युद्ध था। इस युद्ध के अंत की एक भयानक घटना थी — हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया जाना। यह घटना 6 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर में हुई थी और इसे आज भी मानवता पर हुआ सबसे बड़ा हमला माना जाता है।
हमले की पृष्ठभूमि:
द्वितीय विश्व युद्ध 1939 से 1945 तक चला। जापान, जर्मनी और इटली मिलकर मित्र देशों (Allied Powers) के खिलाफ युद्ध लड़ रहे थे। अमेरिका ने जापान को आत्मसमर्पण करने का प्रस्ताव दिया, लेकिन जापान ने मना कर दिया। इसके बाद अमेरिका ने परमाणु बम का प्रयोग करने का निर्णय लिया।
परमाणु बम और हमला:
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तारीख: 6 अगस्त 1945
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स्थान: हिरोशिमा, जापान
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बम का नाम: Little Boy
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विमान: अमेरिकी B-29 बमवर्षक विमान, जिसका नाम था Enola Gay
सुबह 8:15 बजे हिरोशिमा पर बम गिराया गया। यह पहला मौका था जब मानव इतिहास में परमाणु बम का प्रयोग युद्ध में हुआ।
परिणाम और विनाश:
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करीब 80,000 से 1,40,000 लोगों की मृत्यु तुरंत या कुछ ही दिनों में हो गई।
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हजारों लोग जल गए, घायल हुए और बीमारियों से मारे गए।
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शहर का लगभग पूरा हिस्सा नष्ट हो गया।
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रेडिएशन (Radiation) के कारण वर्षों तक लोग बीमार पड़ते रहे।
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कई बच्चों का जन्म विकलांगता के साथ हुआ।
नागासाकी पर दूसरा हमला:
हिरोशिमा के तीन दिन बाद, 9 अगस्त 1945 को अमेरिका ने नागासाकी पर दूसरा परमाणु बम (Fat Man) गिराया, जिसमें और भी ज़्यादा विनाश हुआ।
जापान का आत्मसमर्पण:
इन दोनों हमलों के बाद, जापान ने 15 अगस्त 1945 को आत्मसमर्पण कर दिया, और द्वितीय विश्व युद्ध समाप्त हो गया।
शांति का संदेश:
हिरोशिमा आज एक शांति का प्रतीक बन चुका है। हर साल 6 अगस्त को Hiroshima Peace Day मनाया जाता है। इस दिन दुनियाभर में युद्ध और परमाणु हथियारों के खिलाफ शांति की अपील की जाती है।
निष्कर्ष:
हिरोशिमा पर परमाणु हमला मानव इतिहास की सबसे दर्दनाक घटनाओं में से एक है। यह हमें सिखाता है कि युद्ध में कोई जीत नहीं होती — केवल विनाश होता है। हमें शांति, सह-अस्तित्व और मानवता के रास्ते को अपनाना चाहिए।
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