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“किताबें ही हमारा परिचय, विश्व में व्याप्त विचारों और विचारधाराओं से करवाती हैं।” “किताबें मानव को मानवता का पाठ पढ़ाने में मुख्य भूमिका निभाती हैं।” “किताबों के माध्यम से ही मानव का चौतरफा विकास होता है।” “किताबें ज्ञान का वो दीपक जलाती हैं, जिनसे संसार प्रकाशित होता है।” “किताबों की मजबूत भूमिका के चलते ही मानव की बौद्धिक क्षमता बढ़ती है।”.

Monday, 8 September 2025

05 sep. 2025 ( TEACHER'S DAY )


 नमस्ते सभी को।

आज मैं डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी के बारे में कुछ बातें साझा करना चाहता हूँ।

डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षक, दार्शनिक और विचारक थे। उनका जन्म 5 सितंबर 1888 को तमिलनाडु के एक छोटे से गाँव में हुआ था। वे शिक्षा के बहुत बड़े समर्थक थे और उनका मानना था कि "शिक्षक देश के सबसे अच्छे और बुद्धिमान लोग होने चाहिए।"

उन्होंने भारत और विदेशों के कई विश्वविद्यालयों में दर्शनशास्त्र पढ़ाया। वे भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति भी बने। जब उनके कुछ विद्यार्थियों ने उनका जन्मदिन मनाने की इच्छा जताई, तो उन्होंने कहा –
"अगर आप मुझे सम्मान देना चाहते हैं, तो मेरा जन्मदिन शिक्षक दिवस के रूप में मनाएँ।"

तभी से हर साल 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

डॉ. राधाकृष्णन हमें यह सिखाते हैं कि एक अच्छा शिक्षक ही देश का भविष्य बना सकता है।
हमें भी अपने शिक्षकों का सम्मान करना चाहिए और शिक्षा के प्रति ईमानदार रहना चाहिए।

धन्यवाद!


डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन की जीवनी

पूरा नाम: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
जन्म: 5 सितंबर 1888, तिरुत्तनी, तमिलनाडु, भारत
मृत्यु: 17 अप्रैल 1975, चेन्नई, तमिलनाडु
पिता का नाम: सर्वपल्ली वीरस्वामी
माता का नाम: सीताम्मा
पत्नी का नाम: शिवकमम्मा
शिक्षा: दर्शनशास्त्र (Philosophy), मद्रास क्रिश्चियन कॉलेज
सम्मान: भारत रत्न (1954)


प्रारंभिक जीवन और शिक्षा

डॉ. राधाकृष्णन का जन्म एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वे बचपन से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे। उन्होंने दर्शनशास्त्र (Philosophy) में स्नातक और स्नातकोत्तर की डिग्री ली और शिक्षा के क्षेत्र में एक महान उदाहरण बने।

शिक्षक और दार्शनिक के रूप में योगदान

डॉ. राधाकृष्णन एक महान शिक्षक और दार्शनिक थे। उन्होंने मद्रास, कोलकाता और ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालयों में अध्यापन कार्य किया। उन्होंने भारतीय संस्कृति और दर्शन को पूरी दुनिया में प्रसिद्ध किया।

उनका मानना था कि “शिक्षक केवल पढ़ाने वाले नहीं होते, वे देश के निर्माता होते हैं।”

राजनीतिक जीवन

डॉ. राधाकृष्णन को उनकी विद्वता और उच्च सोच के कारण राजनीति में भी उच्च पदों पर आसीन किया गया। वे:

  • भारत के पहले उपराष्ट्रपति (1952–1962)

  • भारत के दूसरे राष्ट्रपति (1962–1967) बने।

उनका राष्ट्रपति कार्यकाल बहुत ही सम्मानजनक और प्रेरणादायक रहा।

शिक्षक दिवस की शुरुआत

जब वे राष्ट्रपति बने, तो कुछ छात्रों और प्रशंसकों ने उनका जन्मदिन मनाने की बात कही। इस पर उन्होंने कहा:

"मेरे जन्मदिन को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाए – यह मेरे लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा।"

तब से हर वर्ष 5 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाया जाता है।

सम्मान और उपलब्धियाँ

  • डॉ. राधाकृष्णन को भारत रत्न (1954) से सम्मानित किया गया।

  • उन्होंने कई पुस्तकें लिखीं, जैसे — Indian Philosophy, The Philosophy of the Upanishads, और Religion and Society

  • वे यूनाइटेड नेशंस में भारत के प्रतिनिधि भी रहे।

निधन

डॉ. राधाकृष्णन का निधन 17 अप्रैल 1975 को चेन्नई में हुआ। लेकिन उनके विचार, शिक्षाएं और योगदान आज भी अमर हैं।

निष्कर्ष

डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन न केवल एक आदर्श शिक्षक थे, बल्कि एक महान राष्ट्रभक्त, विचारक और प्रेरणास्त्रोत भी थे। उनकी जीवनी हमें शिक्षा, सच्चाई और सेवा का मार्ग दिखाती है।

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